पूछते हैं लोग
कि कविताएं लिखकर
आख़िर मैंने क्या पाया है?
क्या पाया है?
ये पूछिये क्या क्या नहीं पाया है!
शकुन, जुबान, अल्फाज़,
सदाकत ये सब
कविताओं ने मुझे सिखाया है l
अदब, अजमत, रहमत, और मुहब्बत
सब तो कविताओं ने मुझे सिखाया है
क्या क्या गिनाऊ साहब
कि कविताएं लिखकर मैंने क्या पाया है l
रुक जाएगी हाथ हमारी लिखकर
थक जाएगी जुबान हमारी
कि कविताएं से मैंने क्या पाया है
य़ह बताकर
सुन लो ओ पूछने वालों
मैं कविताओ से चिरंजीवी शब्द पाया हूँ
अब य़ह सवाल दुहराना मत किसी कवि से
ज़वाब मिल गया हो तो
देना दुआ दिल से
तब तो कहता है जग सारा
मनुष्य होना भाग्य हैं और
कवि होना सौभाग्य हमारा
नाम जितेंद्र कुमार गुप्ता
पिता-हरिद्वार प्रसाद गुप्ता
पता- अररिया आर०एस केडिया टोला वार्ड नं० 04 जिला अररिया
संप्रति-स्वतंत्र
उपलब्धियां- अखिल भारतीय साहित्य सेवा सम्मान मधेपुरा,नव पल्लव गौरव सम्मान पटना एवं मंच पर अनेक बार प्रस्तुति, राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित कविताएं जैसे अहा ज़िंदगी,संवदिया, परमान टाइम्स,जल ढाका दर्पण,जन आकांक्षा

बहुत ही सुन्दर
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