Thursday, May 14, 2020

Motivation कविता :आत्मनिर्भर

51) आफताब बन

यूं मुश्किलों से डरा न कर
प्रयत्न कर, प्रयास कर l
कदम हरगिज डगमगाये न,
खुद को कभी थकने न दे,
हौंसला को बुलंद रख
सिकंदर बनना तय है,
बस उम्मीदों की चिराग जलाए रख

यूं मुश्किलों से डरा न कर प्रयत्न कर प्रयास कर ll
किस्मत को कोसना छोड़, 
स्वयं का तू भविष्य गढ़
असीमित ऊर्जा हैं तुझ में
खुद को कम न आंक 
तदबीर की हाथों में
मेहनत की स्याही थाम
नव सृजन का बिंदु लिख,
अंधेरा चाहे जितना घना हो
चिंगारी को जलाए रख
यूँ.....

जिंदगी की सफर में,
खुद को तू मिशाल बना
अड़चनों से लड़, आगे बढ़
खुद को तू ढाल बना,
इबारत तू लिख ऐसा मिट न सके
सदियों तक
लोग तेरा गुणगान करे
खुद को तू आसमान बना
यूँ मुश्किलों से डरा न कर.....

मंजिल की सफर लम्बा है
कोशिशों की किस्त कम न पड़े
ग़र चिंगारी बुझी बुझी सी हो
तों हौंसला से हवा करे
लक्ष्य तू पाएगा
यकीन कर यकीन कर
सफ़लता का सफर अंधकार से भरा हो
और रौशनी न मिल सके तो
आफताब बन आफताब बन ll

रचनाकार 
जितेन्द्र कुमार गुप्ता

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