Tuesday, November 3, 2020

चुनाव 2020 या चालक मंत्री बेवक़ूफ़ जनता


 चुनाव 2020 : चालाक मंत्री या बेवक़ूफ़ जनता 


जब से खुद को एक अदद नौकरी पाने की तलाश में जुटा हूँ, तब से सरकार और प्रशासन की जनता और छात्र  वर्ग के साथ पक्षपात होते देखा है l क्या वर्षों से खुद को पढ़ाई लिखाई में तपा देने के बाद भी अपनी भविष्य हेतु एक नौकरी की लालसा रखना गलत है l रोज़गार न दे पाना, क्या ये सरकार की नाकामयाबी नहीं है? 

केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार युवाओ को हमेशा धोखे में रखा है l केंद्र सरकार की बात करे तो दो साल पहले railway में लगभग सवा लाख vacancies तो निकाली परंतु आज तक Exam नहीं हुआ. युवाओ का गुस्सा और इनकी ताकत का अंदाजा सरकार को ट्विटर campigen से लगा तो तिलमिला उठी l कई बड़े शिक्षक को चुप करा दिया गया और Exam date दिसम्बर में घोषित किया गया तब जाके ट्विटर आंदोलन छात्रों का रुका l शायद दिसम्बर में भी ये exam सरकार करवाने के मिजाज में नहीं है l एक तरफ सरकार एक करोड़ नौकरी देने की बात करती हैं और जब एक करोड़ की मात्र 10% नौकरियाँ की आवेदन लेती है तो दो साल बाद भी Exam तक नहीं करवा पाती है क्या हमे ऐसी सरकार चाहिए? पक्ष हो या विपक्ष सब एक ही थाली के चटे - बट्टे हैं l 

बिहार सरकार भी अपनी चालाकी दिखाने में किसी से भी पीछे नहीं है l शिक्षक बहाली कई साल बाद बिहार में आयी वो भी लगभग 90,000 की l D. El ed वालों को भी मान्यता मिल गई सभी खुश थे, और बहाली सिर्फ अखबारों में ही देखने को मिली, आज तक यथार्थ पर जायदा कुछ नहीं हुआ दरअसल इसे ही सरकार की चालाकी पर जनता की बेवकूफी कहते हैं l 

सही मायने में ये शिक्षकों की नियुक्ति, बिहार के लगभग 60 लाख D. EL ed धारियों को मान्यता सिर्फ चुनावी स्टंट्स थी, जिस में एक बार फिर जनता बेवक़ूफ़ बनती दिख रहीं हैं l 

बेचारी जनता भी क्या करे! 100 बुरे लोगों की सूची  को जनता के समक्ष एक उम्मीदवार की चुनाव हेतु रख दी जाती है तो जनता भी क्या करे ये भी कम बुरा कौन है, उसे चुनने का प्रयास करती है l सूची में एक भी ईमानदार और और कर्मठ उम्मीदवार होता ही नहीं है l


शिक्षा व्यवस्था की तो बात ही न करे l इसमे भी पीछे रहने की होड़ लगी रहती है l हाँ आपने ठीक ही पढ़ा पीछे रहने की आगे बढ़ने की नहीं l आप और हम दोनों शिक्षा व्यवस्था से परिचित हैं l साइकिल, पोशाक,, छात्रवृत्ति राशि दी जाती हैं परंतु शिक्षा व्यवस्था उतनी ही बेकार होते जा रहीं हैं l भीड़ तो छात्रों की हो गई परंतु उस अनुपात में न शिक्षक है और न ही विद्यालय l 

सरकार एक तरफ शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था सुधार करने की बात करतीं हैं और दूसरी तरफ ठीक इसके विपरित करती है और चुनाव आते ही फिर से जनता को लॉलीपॉप पकड़ा कर पांच साल गायब हो जाती है l

इनका चुनाव का परिणाम दो से तीन दिन में आ जाती है और नौकरियों की Exam से joining letter आने में वर्षो बीत जाती है इसी उम्मीद में की बहना की उम्र होते जा रहीं हैं कब शादी होगी, कब माँ की आँखों का ऑपरेशन होगा और ये सब निर्भर रहती है उसकी रिजल्ट, joining latter पर l आख़िर हमारे साथ ही ऐसी राजनीति क्यों होती है l 


सरकार बेहतर शिक्षक चाहती ही नहीं है : 

बिहार सरकार एक तरफ छात्रों को पढ़ने हेतु स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की योजना का ऐलान करती है और दूसरी तरफ स्टूडेंट्स क्रेडिट कार्ड की सूची में लगभग सभी को शामिल करती है पर जो शिक्षक बनने के लिए B. Ed करना चाहता है उसे नहीं यानी  B. Ed वाले के लिए कोई loan योजना नहीं है l इस हालात में कौन बनना चाहेगा शिक्षक l अब आप ही बताए क्या सरकार बेहतरीन शिक्षक चाहती है या नहीं l शिक्षा व्यवस्था अच्छी हो जाएगी तो इनका दाल कैसे गलेगी l 

M. A, B. A जो कम राशि पर हो सकती है उस student credit card देने की व्यवस्था है अच्छी बात है परंतु B. Ed के लिए क्यों नहीं कोई योजना नहीं है l B. Ed की कुल fee private college में एक लाख पचपन हजार है तो इतनी बड़ी राशि के लिए B. Ed course को भी student credit card योजना में शामिल नहीं करना क्या अनुचित नहीं है l "आर्थिक हल युवाओ को बल" सिर्फ ये ढकोसला है l छात्र वर्षो मेहनत करते है फिर भी इनका भविष्य अंधेरे में रहती है जबकि ये पांच साल में पांच दिन भाषण देकर फिर पांच साल A. C रूम में आराम करते हैं l ये कैसी राजनीति और कैसे राजनेता हैं ll

अदम गोंडवी साहब का एक शेर याद आ गया कि 


तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है 

ये आकड़े, ये दावे झूठे और किताबी है l


अब जनता ही तय करे जनता का भविष्य l






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