Saturday, October 31, 2020

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती

 


भारत के उप प्रधान मंत्री 

कार्यकाल :15 अगस्त 1947 – 15 दिसम्बर 1950

प्रधानमंत्री : जवाहरलाल नेहरु

                    गृह मंत्रालय

पद बहाल : 15 अगस्त 1947 – 15 दिसम्बर 1950

प्रधानमंत्री  : जवाहरलाल नेहरु

जन्म : 31 अक्टूबर 1875
नडियाद, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत

मृत्यु : 15 दिसम्बर 1950 (उम्र 75)
बॉम्बे, बॉम्बे राज्य, भारत

राष्ट्रीयता :भारतीय

राजनीतिक दल : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

बच्चे : मणिबेन पटेल, दह्याभाई पटेल

शैक्षिक सम्बद्धता : मिडल टेम्पल

पेशा : वकालत, राजनीति

सम्मान : भारत रत्न 

सरदार वल्लभ भाई पटेल समान व्यक्ति नहीं थे उनमें एक देश हित को लेकर ग़ज़ब की जोश थी यही कारण है कि उन्होंने आजादी के बाद कई रियासतों को एक किया l
सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर अर्थात् उनके जन्म दिवस के अवसर पर विश्व एकता दिवस के रूप में मनाई जाती है। देश की आजादी में सरदार पटेल का योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा। 562 देशी रियासतों का भारत में विलय सरदार पटेल ने ही करवाया था। अटल निश्चय से ओत प्रोत सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर जानिए उनके ऐसे विचारों को जो किसी की भी जिंदगी में और समाज के परिदृश्य में बदलाव ला सकते हैं। हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी गुजरात में statue of unity अर्थात पटेल जी की विशालकाय मूर्ति की स्थापना कर पटेल जी को श्रद्धांजलि देने की प्रयास किए हैं l इसे पर्यटन स्थल के उद्देश्य से भी विकसित किया जा रहा है l भविष्य में य़ह आय का साधन बन सकता है l

                            राजनीति दुनिया 

ये भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर सरदार कहा जाता हैं l जिसका अर्थ है "प्रमुख"। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। इन्होंने गृहमंत्री होते हुए बखूबी अपनी कर्तव्य का पालन सदा निष्ठा के साथ किया l इन्होंने देश के कई मुद्दों को बड़ी सहजता के साथ समाधान किया जिसके लिए देश आज भी इन्हें बड़े सम्मान के साथ याद करता है ll

               संघर्ष एवं साहित्य जीवन :

सरदार पटेल जी की जीवन से लोगों को प्रेरणा मिलती है उनका जीवन के अध्ययन से पता चलता है हमे जीवन के संघर्षों से डर कर भगाना नहीं चाहिए ll
निरन्तर संघर्षपूर्ण जीवन जीने वाले सरदार पटेल को स्वतंत्र रूप से पुस्तक-रचना का अवकाश नहीं मिला, परंतु उनके लिखे पत्रों, टिप्पणियों एवं उनके द्वारा दिये गये व्याख्यानों के रूप में बृहद् साहित्य उपलब्ध है, जिनका संकलन विविध रूपाकारों में प्रकाशित होते रहा है। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण तो सरदार पटेल के वे पत्र हैं जो स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में दस्तावेज का महत्व रखते हैं। 1945 से 1950 ई० की समयावधि के इन पत्रों का सर्वप्रथम दुर्गा दास के संपादन में (अंग्रेजी में) नवजीवन प्रकाशन मंदिर से 10 खंडों में प्रकाशन हुआ था। इस बृहद् संकलन में से चुने हुए पत्र-व्यवहारों का वी० शंकर के संपादन में दो खंडों में भी प्रकाशन हुआ, जिनका हिंदी अनुवाद भी प्रकाशित किया गया। इन संकलनों में केवल सरदार पटेल के पत्र न होकर उन-उन संदर्भों में उन्हें लिखे गये अन्य व्यक्तियों के महत्वपूर्ण पत्र भी संकलित हैं। विभिन्न विषयों पर केंद्रित उनके विविध रूपेण लिखित साहित्य को संकलित कर अनेक पुस्तकें भी तैयार की गयी हैं। उनके समग्र उपलब्ध साहित्य का विवरण इस प्रकार है:-

हिन्दी में
सरदार पटेल : चुना हुआ पत्र-व्यवहार (1945-1950) - दो खंडों में, संपादक- वी० शंकर, प्रथम संस्करण-1976, [नवजीवन प्रकाशन मंदिर, अहमदाबाद]
सरदारश्री के विशिष्ट और अनोखे पत्र (1918-1950) - दो खंडों में, संपादक- गणेश मा० नांदुरकर, प्रथम संस्करण-1981 [वितरक- नवजीवन प्रकाशन मंदिर, अहमदाबाद]
भारत विभाजन (प्रभात प्रकाशन, नयी दिल्ली)
गांधी, नेहरू, सुभाष (" ")
आर्थिक एवं विदेश नीति (" ")
मुसलमान और शरणार्थी (" ")
कश्मीर और हैदराबाद (" ")

              इनका सम्मान भारत का सम्मान 

पटेल जी  के सम्मान में देश हमेशा कुछ ऐसा किया है जो देशहित में हो ll योग्य नेता का समुचित सम्मान देने में कहीं चूक न जाए इसका ख्याल यहां की सरकार की है l इसलिए 
अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र रखा गया है।
गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय
सन १९९१ में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
मुख्य लेख: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
इसकी ऊँचाई 240 मीटर है, जिसमें 58 मीटर का आधार है। मूर्ति की ऊँचाई 182 मीटर है, जो स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊँची है। 31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक नए स्मारक का शिलान्यास किया। यहाँ लौह से निर्मित सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा लगाने का निश्चय किया गया, अतः इस स्मारक का नाम 'एकता की मूर्ति' (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) रखा गया है। प्रस्तावित प्रतिमा को एक छोटे चट्टानी द्वीप 'साधू बेट' पर स्थापित किया गया है जो केवाडिया में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी के बीच स्थित है।

2018 में तैयार इस प्रतिमा को प्रधानमंत्री मोदी जी ने 31 अक्टूबर 2018 को राष्ट्र को समर्पित किया। यह प्रतिमा 5 वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई है। जो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है l
इसकी ऊँचाई 182 मीटर ( 597 फिट) है जबकि आधार सहित 240 मीटर ( 790 फिट) है l

                      STAUE OF UNITY 








Saturday, October 24, 2020

दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है.?

                      दुर्गा            पूजा                               


प्रचलित नाम :दुर्गा पूजा

अन्य नाम :अकाल बोधन

अनुयायी :हिन्दू

प्रकार:हिन्दू

समापन :अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को


आवृत्ति : वार्षिक

समान पर्व : महालय, नवरात्रि, दशहरा




 दुर्गा पूजा हिन्दुओं का पवित्र त्योहारों में से एक धूम - धाम से मनाया जाने वाला पर्व हैं l जैसा कि हम सब जानते हैं हर त्योहार मनाने के पूछे कई लोक कथाएं, वैज्ञानिक कारण के साथ साथ धार्मिक आस्था भी हैं l 


आइये जानते हैं आखिर दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है?


हिन्दू धर्म के मान्यता अनुसार युगों पूर्व एक महा असुर जिसका नाम महिषासुर था, वो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उत्पात मचा रखा था l पृथ्वी वासी के साथ साथ देवता गण भी महिषासुर के अत्याचार से त्राहि माम - त्राहि माम कर रहे थे l

 इंद्र और अन्य देवता भी महिषासुर को परास्त करने के लिए कई बार घमासान युद्ध किए परंतु हर बार देवता सहित इंद्र भी स्वयं परास्त हो गए l सभी देवताओं को पृथ्वी पर विचरण करना पर रहा था l सभी देवता और इंद्र भी इस समस्या की निदान के लिए एक एक कर ब्रह्मा विष्णु  जी के पास गए l इसी समय त्रिमूर्ति अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश अत्यधिक क्रोध से भर गए तत्पश्चात इनके मुख से एक तेज प्रकट हुआ और अन्य देवताओं के शरीर से एक तेजोमय शक्ति मिलकर एक एकाकार विशाल पहाड़ सा बन गया l

और इसी से उत्पति हुई माता दुर्गा की l इन्होंने महिषासुर का वध किया जिसके कारण आज भी दुनिया इन्हें महिषासुर मर्दिनी के नाम से पुकारती हैं l


देवी की उत्पति से देवता काफी प्रसन्न हुए l  उन्हें विश्वाश था अब महिषासुर का वध निश्चित है l शिव जी अपना त्रिशूल देकर देवी का स्वागत और महिषासुर को वध करने को कहें तथा देवी उत्पति की उद्देश्य से भी अवगत करवाया l भगवान विष्णु भी चक्र देवी को प्रदान किया l इसी तरह सभी देवताओं ने अस्त्र - शस्त्र देकर देवी को युद्ध के लिए सुसज्जित किया l


तत्पश्चात आरम्भ हुआ महिषासुर के साथ युद्ध l य़ह युद्ध महिषासुर, करोड़ों असुर और माता दुर्गा के साथ दस दिनों तक घमासान युद्ध हुआ l इन दस दिनों में देवी ने दस रूप धारण किए l 

नौ रूप : 

शैलपुत्री

ब्रह्मचारिणी

चंद्रघंटा

कूष्माण्डा

स्कंदमाता

कात्यायनी

कालरात्रि

महागौरी

और अंत में देवी ने दस हाथों वाली रूप यानी माता दुर्गा का रूप धारण कर महिषासुर का वध कर दिया l य़ह विजय दस दिनों में मिली जिस कारण इसे विजयादशमी भी कहा जाता है l और माता को महिषासुर मर्दिनी l और इसी दिन से हर साल दुर्गा पूजा मनाया जाता है l य़ह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक है और समाज को य़ह सुस्पष्ट संदेश देती है कि बुराई या अधर्म चाहें जितना शक्तिशाली हो उसका पतन निश्चित है l


कौन था महिषासुर.          :-


महिषासुर का जन्म


महिषासुर एक असुर था। महिषासुर के पिता रंभ, असुरों का राजा था जो एक बार जल में रहने वाले एक भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के योग से महिषासुर का आगमन हुआ। इस वजह से वश महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे मनुष्य का रूप धारण कर सकता था।


हिन्दू पुराणों के अनुसार - एक समय में राक्षस राज महिषासुर हुआ करता था, जो बहुत ही शक्तिशाली था| स्वर्ग पर आधिपत्य ज़माने के लिए उसने ब्रह्म देव की घोर तपस्या की| जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव प्रकट हुए और महिषासुर से वर मांगने को कहा| राक्षस राज ने अमरता का वर माँगा परंतु ब्रह्मा ने इसे देने से इंकार कर इसके बदले महिषासुर को स्त्री के हाथों मृत्यु प्राप्ति का वरदान दिया| महिषासुर प्रसन्न होकर सोचा मुझ जैसे बलशाली को भला कोई साधारण स्त्री कैसे मार पायेगी?


यहि कारण है कि महिषासुर का वध देवी के ही हाथों हुआ ll


 पतझड़ (शरतकाल) के समय दुर्गा की पूजा बंगाल में सबसे बड़ा हिन्दू पर्व है। दुर्गा पूजा नेपाल और भूटान में भी स्थानीय परम्पराओं और विविधताओं के अनुसार मनाया जाता है। पूजा का अर्थ "आराधना" है और दुर्गा पूजा बंगाली पंचांग के छटे माह अश्विन में बढ़ते चन्द्रमा की छटी तिथि से मनाया जाता है। तथापि कभी-कभी, सौर माह में चन्द्र चक्र के आपेक्षिक परिवर्तन के कारण इसके बाद वले माह कार्तिक में भी मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेण्डर में इससे सम्बंधित तिथियाँ सितम्बर और अक्टूबर माह में आती हैं। साल 2018 मे देश की सबसे महंगी दुर्गा पूजा कोलकाता में हुई, जँहा पद्मावत की थीम पर बना 15 करोड़ का पंडाल लगाया गया था l


रामायण में राम, रावण से युद्ध के दौरान देवी दुर्गा को आह्वान करते हैं। यद्यपि उन्हें पारम्परिक रूप से वसन्त के समय पूजा जाता था। युद्ध की आकस्मिकता के कारण, राम ने देवी दुर्गा का शीतकाल में अकाल बोधन आह्वान किया।


आइये आप और हम संकल्प ले कि पूरी कोशिश करेंगे कि अच्छाइयों और सत्य का साथ दे l और अपनी जीत सुनिश्चित करे l चाहें वो जिंदगी की मैदान हो या अपनी सपनों में पंख लगाने की बात दृढ़ निश्चय होकर कठिन परिश्रम कर और सत्य का साथ देकर अपनी जीत पक्की करे ll




Thursday, October 8, 2020

राम विलास पासवान का हुआ निधन

                                राम विलास पासवान                    


जीवन परिचय

राम विलास पासवान जी राजनीति क्षेत्र में एक बड़े चेहरा और कद्दावर नेता थे l हम सबको दुःख है कि एक ईमानदार नेता नहीं रहे l दो बार उन्होंने सबसे अधिक वोट से जीत ने का रिकॉर्ड बनाया l
आइये जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी बाते और उनके सद्गुणों को अपनाए और जीवन में आगे बढ़ना सीखे l उनका जीवन हम सबके लिए शिक्षाप्रद और सीखने योग्य हैं l

परिचय
रामविलास पासवान भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। वे लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी हैं। वे सोलहवीं लोकसभा में बिहार के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। रामविलास पासवान जी का आज 8 अक्टूबर 2020 को दिल्ली में निधन हो गया है। उनका 
जन्म: 5 जुलाई 1946 (आयु 74 वर्ष), खगडिया
पूर्ण नाम: Ram Vilas Paswan
दल: लोक जनशक्ति पार्टी
पति/पत्नी: रीना पासवान (विवाह . 1983), राजकुमारी देवी (विवा. –1981)
बच्‍चे: चिराग पासवान, आशा पासवान, उषा पासवान
पिछले कार्य काल: लोक सभा सांसद (2014–2019), लोक सभा सांसद (1989–2014), ज़्यादा

एक कहावत है " ना कहू से दोस्ती, ना कहू से बैर इस कहावत को अपने जीवन रामविलास पासवान जी बखूबी चरितार्थ कर के दिखाया और समाज में मिलजुलकर रहने का संदेश दिया l
पासवान जी प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं। 1996 से 2015 तक केन्द्र में सरकार बनाने वाले सभी राष्ट्रीय गठबंधन चाहे यूपीए हो या एनडीए, का वह हिस्सा बने। इसी कारण लालू प्रसाद ने उनको ‘मौसम विज्ञानी’ का नाम दिया था। अब तो वह खुद भी स्वीकारते हैं कि वह जहां रहते हैं सरकार उन्हीं की बनती है।  मतलब राजीतिक मौसम का पुर्वानुमान लगाने में वे माहिर हैं। वे समाजवादी पृष्ठभूमि के बड़े नेताओं में एक हैं।  देशभर में उनकी पहचान राष्ट्रीय नेता के रूप में है। हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से वह कई बार चुनाव जीते हैं, लेकिन दो बार उन्होंने सबसे अधिक वोट से जीतने का रिकॉर्ड बनाया।

बड़े फैसले 

’ हाजीपुर में रेलवे का जोनल कार्यालय खुलवाए 
’ केन्द्र में अंबेडकर जयं ती पर छुट्टी घोषित कराई 
केन्द्रीय मंत्री 

1989 में पहली बार केन्द्रीय श्रम मंत्री 
1996 में रेल मंत्री 
1999 में संचार मंत्री 
2002 में कोयला मंत्री 
2014 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री 
2019 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री

कुछ खाशियत 


रामविलास जी छात्र जीवन में पुलिस बनना चाहते थे उनको प्रशासनिक क्षेत्र में जाने को अभिरूचि थी l उन्होंने यूपीएससी का Exam भी दिए थे लेकिन कहते हैं वही होता है जो मंज़ूरे खुदा होता है किस्मत भी उन्हें राजनीति में ले आयी फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा l 
उन्होंने कोसी कॉलेज खगड़िया और पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए और लॉ ग्रेजुएट की डिग्री ली। वह नॉनवेज पसंद करते हैं। मछली उनकी पहली पसंद है।

उपभोक्ता मामलात मंत्री, भारत सरकार
              पदस्थ           

           कार्यालय ग्रहण 
26 मई 2015, पुनः 30 मई 2019

प्रधानमंत्री :नरेन्द्र मोदी. 

 केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री 

       कार्यकाल.   

         2004 - 2009.      

प्रधानमंत्री:मनमोहन सिंह.   

         केन्द्रीय खनिज मंत्री.   

         कार्यकाल. 
          2001 - 2002.   

प्रधानमंत्री :अटल बिहारी वाजपेयी

 केन्द्रीय सूचना एवं प्रचारण मंत्री
           कार्यकाल. 
            1999 - 2000  

          प्रधानमंत्री 
    अटल बिहारी वाजपेयी.                 

          भारत के रेलमंत्री.        
               कार्यकाल.   
           1996 - 1998.        

हाजीपुर से सांसद.        

रामविलास पासवान भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक हैं।वे लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी हैं।[2] वे सोलहवीं लोकसभा में बिहार के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर 2020 को दिल्ली में निधन हो गया।

रामविलास पासवान

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