Saturday, October 24, 2020

दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है.?

                      दुर्गा            पूजा                               


प्रचलित नाम :दुर्गा पूजा

अन्य नाम :अकाल बोधन

अनुयायी :हिन्दू

प्रकार:हिन्दू

समापन :अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को


आवृत्ति : वार्षिक

समान पर्व : महालय, नवरात्रि, दशहरा




 दुर्गा पूजा हिन्दुओं का पवित्र त्योहारों में से एक धूम - धाम से मनाया जाने वाला पर्व हैं l जैसा कि हम सब जानते हैं हर त्योहार मनाने के पूछे कई लोक कथाएं, वैज्ञानिक कारण के साथ साथ धार्मिक आस्था भी हैं l 


आइये जानते हैं आखिर दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है?


हिन्दू धर्म के मान्यता अनुसार युगों पूर्व एक महा असुर जिसका नाम महिषासुर था, वो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उत्पात मचा रखा था l पृथ्वी वासी के साथ साथ देवता गण भी महिषासुर के अत्याचार से त्राहि माम - त्राहि माम कर रहे थे l

 इंद्र और अन्य देवता भी महिषासुर को परास्त करने के लिए कई बार घमासान युद्ध किए परंतु हर बार देवता सहित इंद्र भी स्वयं परास्त हो गए l सभी देवताओं को पृथ्वी पर विचरण करना पर रहा था l सभी देवता और इंद्र भी इस समस्या की निदान के लिए एक एक कर ब्रह्मा विष्णु  जी के पास गए l इसी समय त्रिमूर्ति अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश अत्यधिक क्रोध से भर गए तत्पश्चात इनके मुख से एक तेज प्रकट हुआ और अन्य देवताओं के शरीर से एक तेजोमय शक्ति मिलकर एक एकाकार विशाल पहाड़ सा बन गया l

और इसी से उत्पति हुई माता दुर्गा की l इन्होंने महिषासुर का वध किया जिसके कारण आज भी दुनिया इन्हें महिषासुर मर्दिनी के नाम से पुकारती हैं l


देवी की उत्पति से देवता काफी प्रसन्न हुए l  उन्हें विश्वाश था अब महिषासुर का वध निश्चित है l शिव जी अपना त्रिशूल देकर देवी का स्वागत और महिषासुर को वध करने को कहें तथा देवी उत्पति की उद्देश्य से भी अवगत करवाया l भगवान विष्णु भी चक्र देवी को प्रदान किया l इसी तरह सभी देवताओं ने अस्त्र - शस्त्र देकर देवी को युद्ध के लिए सुसज्जित किया l


तत्पश्चात आरम्भ हुआ महिषासुर के साथ युद्ध l य़ह युद्ध महिषासुर, करोड़ों असुर और माता दुर्गा के साथ दस दिनों तक घमासान युद्ध हुआ l इन दस दिनों में देवी ने दस रूप धारण किए l 

नौ रूप : 

शैलपुत्री

ब्रह्मचारिणी

चंद्रघंटा

कूष्माण्डा

स्कंदमाता

कात्यायनी

कालरात्रि

महागौरी

और अंत में देवी ने दस हाथों वाली रूप यानी माता दुर्गा का रूप धारण कर महिषासुर का वध कर दिया l य़ह विजय दस दिनों में मिली जिस कारण इसे विजयादशमी भी कहा जाता है l और माता को महिषासुर मर्दिनी l और इसी दिन से हर साल दुर्गा पूजा मनाया जाता है l य़ह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक है और समाज को य़ह सुस्पष्ट संदेश देती है कि बुराई या अधर्म चाहें जितना शक्तिशाली हो उसका पतन निश्चित है l


कौन था महिषासुर.          :-


महिषासुर का जन्म


महिषासुर एक असुर था। महिषासुर के पिता रंभ, असुरों का राजा था जो एक बार जल में रहने वाले एक भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के योग से महिषासुर का आगमन हुआ। इस वजह से वश महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे मनुष्य का रूप धारण कर सकता था।


हिन्दू पुराणों के अनुसार - एक समय में राक्षस राज महिषासुर हुआ करता था, जो बहुत ही शक्तिशाली था| स्वर्ग पर आधिपत्य ज़माने के लिए उसने ब्रह्म देव की घोर तपस्या की| जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव प्रकट हुए और महिषासुर से वर मांगने को कहा| राक्षस राज ने अमरता का वर माँगा परंतु ब्रह्मा ने इसे देने से इंकार कर इसके बदले महिषासुर को स्त्री के हाथों मृत्यु प्राप्ति का वरदान दिया| महिषासुर प्रसन्न होकर सोचा मुझ जैसे बलशाली को भला कोई साधारण स्त्री कैसे मार पायेगी?


यहि कारण है कि महिषासुर का वध देवी के ही हाथों हुआ ll


 पतझड़ (शरतकाल) के समय दुर्गा की पूजा बंगाल में सबसे बड़ा हिन्दू पर्व है। दुर्गा पूजा नेपाल और भूटान में भी स्थानीय परम्पराओं और विविधताओं के अनुसार मनाया जाता है। पूजा का अर्थ "आराधना" है और दुर्गा पूजा बंगाली पंचांग के छटे माह अश्विन में बढ़ते चन्द्रमा की छटी तिथि से मनाया जाता है। तथापि कभी-कभी, सौर माह में चन्द्र चक्र के आपेक्षिक परिवर्तन के कारण इसके बाद वले माह कार्तिक में भी मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेण्डर में इससे सम्बंधित तिथियाँ सितम्बर और अक्टूबर माह में आती हैं। साल 2018 मे देश की सबसे महंगी दुर्गा पूजा कोलकाता में हुई, जँहा पद्मावत की थीम पर बना 15 करोड़ का पंडाल लगाया गया था l


रामायण में राम, रावण से युद्ध के दौरान देवी दुर्गा को आह्वान करते हैं। यद्यपि उन्हें पारम्परिक रूप से वसन्त के समय पूजा जाता था। युद्ध की आकस्मिकता के कारण, राम ने देवी दुर्गा का शीतकाल में अकाल बोधन आह्वान किया।


आइये आप और हम संकल्प ले कि पूरी कोशिश करेंगे कि अच्छाइयों और सत्य का साथ दे l और अपनी जीत सुनिश्चित करे l चाहें वो जिंदगी की मैदान हो या अपनी सपनों में पंख लगाने की बात दृढ़ निश्चय होकर कठिन परिश्रम कर और सत्य का साथ देकर अपनी जीत पक्की करे ll




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