अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस
इस सदी की सबसे भीषण जंग में अग्रिम मोर्चे से लेकर व्यवस्था तक की जिम्मेदारी महिलाओं ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई l इनका साथ थ तो हालात संभल भी गए l हम आम जन महिलाओं के सदा ऋणी रहेंगे , जिन्होंने कोरोना काल में खुद को और परिवार को भुलाकर मरीजों की सेवा में लगा दिया ll
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रत्येक वर्ष, 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के अलग अलग क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। यह दिवस मनाने का एकमात्र उद्देश्य महिला को सशक्तिकरण बनाना है l यह अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल अंगोला, आर्मेनिया, चीन आज़रबाइजान, क्यूबा,बेलारूस, बुर्किना फासो, कंबोडिया, - बिसाउ, इरीट्रिया, गिन्नी कजाखस्तान,किर्गिस्तान,लाओस, मकदूनिया (केवल महिलाओं के लिए), मडागास्कर (केवल महिलाओं के लिए), माल्डोवा,मंगोलिया,रूस, ताजीकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान,यूगांडा, यूक्रेन, उज़्बेकिस्तान, वियतनाम, और ज़ाम्बिया में यह दिन एक आधिकारिक अवकाश के रूप में मनाया जाता हैं l इस दिन वहां सरकारी और गैर सरकारी संस्था बंद रहती हैं l
पूर्व में कहीं बातों का हिंदी रूपांतरण:
हम महिलाओं को मताधिकार दो। महिला दिवस, 8 मार्च 1914। अब तक, भेदभाव और प्रतिक्रियावादी नज़रिए ने उन महिलाओं को पूर्ण नागरिक अधिकार से वंचित रखा है, जिन्होंने श्रमिकों, माताओं और नागरिकों की भूमिका पूरी निष्ठा से अपने कर्त्तव्य का पालन किया है एवं जिन्हें नगर पालिका के साथ-साथ राज्य के प्रति भी करों का भुगतान करना होता है। इस प्राकृतिक मानवाधिकार के लिए हर औरत को दृढ़ एवं अटूट इरादे के साथ लड़ना चाहिए। इस लड़ाई में किसी भी प्रकार के ठहराव या विश्राम करने की अनुमति नहीं है। सभी महिलाएँ और लडकियाँ आएं, रविवार, 8 मार्च 1914 को, शाम 3 बजे, 9वीं महिला सभा में शामिल हों।
इतिहास:
अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर, यह दिवस सबसे पहले 28 फ़रवरी 1909 को मनाया गया। इसके बाद यह फरवरी के आखिरी इतवार के दिन मनाया जाने लगा। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था।
1917 में रूस की महिलाओं ने, महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी। ज़ार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया। उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर है। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी इतवार 23 फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है। इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
प्रसिद्ध जर्मन एक्टिविस्ट क्लारा ज़ेटकिन के जोरदार प्रयासों के बदौलत इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने साल 1910 में महिला दिवस के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप और इस दिन पब्लिक हॉलीडे को सहमति दी। इस फलस्वरूप 19 मार्च, 1911 को पहला IWD ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और जर्मनी में आयोजित किया गया। हालांकि महिला दिवस की तारीख को साल 1921 में फाइनली बदलकर 8 मार्च कर दिया गया। तब से महिला दिवस पूरी दुनिया में 8 मार्च को ही मनाया जाता है।
Important points:
*अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार सबसे पहले जर्मनी की क्लारा जेडकिंट ने 1910 में रखा ताकि महिलाएं अपनी हक के लिए आवाज उठा सकें l
* 1917 में युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ’ ब्रेड एंड पीस’ यानी खाना और शांति की मांग की l
महिलाओं की हड़ताल ने वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और साथ ही अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया l
* जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी जूलियन कैलेंडर के हिसाब से वो तारीख 23 फरवरी थी ग्रेग्रेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था l बाद में पता इसे ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए चुना गया l
* 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया था l
* महिला दिवस के लिए हर बार एक नया थीम तय किया जाता है l

No comments:
Post a Comment