Thursday, June 18, 2020

वीर सैनिकों पर कविता

कब तक हमारे जवान शहीद होते रहेंगे, कब तक अमरो की सुची में एक और नाम जुड़ते रहेंगे, आखिर कब तक जांबाज, शेर वीर जवानों को खोकर, उन्हें अमर कहते रहेंगे, कब तक ऐसे ही दिल को दिलाशा देते रहेंगे, बस अब और नहीं अटल फैसला लेना होगा, हाय तौबा हाय तौबा से उपर उठकर, बाप को बेटे का कान पकड़कर, उसकी गलती का एहसास दिलाना होगा, फिर भी न माने तो, ऐसे कुपुत्र को करारा सबक सिखाना होगा, गलती से बाज़ नहीं आए तो, दिल पर पत्थर रखकर इसे मिटाना होगा, बारंबार गलती अपराध बन जाता है, तब अपराधी को माफी नहीं, कठोर दंड दिया जाता है, ऐसे में दूजा अपराधी अपराध करने से डर जाता है। आंतकी का हल , न बातचीत न युद्ध विराम से होगा, छलियां है ये , कायरता, क्रुरता रग-रग में है इनका ढूंढ़ों इनको इनके घर में और आंतक लीला समाप्त करों, शेर की तरह दहाड़ों और चूहे की जमात समाप्त करों,। एक के बदले दस नहीं सौ शीश काट लाओ, आंतक क्या हैं, आंतकी इससे रु ब रु हो जाएंगे, हिमाकत नहीं होगी फिर से आंख दिखाने की, जब इन्हीं के घर में इनकी औकात बतलाएंगे, तब बड़ी अदब से अब्बा जान कहकर, जलपान के लिए बुलाएंगे, हम भी सारे गिले-शिकवे भुलाकर गले लगाएंगे ll मुर्झाई सी कली पुनः खिल जाएगी विश्व को आंतक से छुटकारा मिल जाएगा चाहूं ओर शांति होगी भारत पुनः विश्व गुरु बन जाएगा ll रचनाकार जितेन्द्र कुमार गुप्ता कृपया प्रतिक्रिया करना न भूले l

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